Haryana: निर्यातकों की हड़ताल से गिरे बासमती धान के दाम, 1509 के रेट 3900 से घटकर 2900 रुपये क्विंटल आए

बासमती धान निर्यातकों ने पानीपत समेत प्रदेश की मंडियों में धान की खरीद बंद कर दी है। वहीं प्रदेश की मंडियों में करीब एक करोड़ क्विंटल धान पड़ा होने का अनुमान है। इसका कारण सरकार की ओर से बासमती धान निर्यात के रेट यानी न्यूनतम निर्यात मूल्य का एकाएक बढ़ाया जाना है। सरकार ने इसका रेट 1200 डॉलर कर दिया है, जबकि पहले 800 से 850 डॉलर प्रति टन था।
निर्यातकों का कहना है कि वे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से दो महीने पहले इस विषय में बैठक कर चुके हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं होने पर धान की खरीद बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है। इससे धान के दाम में भी गिरावट आई है।
किसान मौसम और अगली फसल की बिजाई को देखते हुए धान की कटाई लगातार कर रहे हैं। वे खेत से सीधा मंडी में धान ला रहे हैं। इस बीच निर्यातक धान खरीद से पीछे हट गए, जिसके चलते स्थानीय आढ़तियों ने भी धान डलवाने में अपने हाथ खड़े करने शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह है कि पिछले दो दिन से मंडियों में धान की खरीद लगभग ठप है।


स्थानीय मिलर ही धान की खरीद कर रहे हैं। निर्यातकों के पीछे हटने से धान के रेट भी कम हो गए हैं। बासमती धान के रेट 4700 रुपये क्विंटल तक पहुंच गए थे, जो अब 3500 से 3700 रुपये क्विंटल तक आ गया है। 1509 किस्म के रेट 3900 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2900 रुपये तक आ गए हैं।

आढ़ती एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मवीर मलिक ने बताया कि निर्यातकों के पीछे हटने से मंडियों में धान की खरीद ठप हो गई है। निर्यातक मंडियों से 1509, 1121, 1718 व 1847 की खरीद नहीं कर रहे हैं। सरकार को इस विषय पर तुरंत फैसला लेना चाहिए। पानीपत मतलौडा मंडी में निर्यातकों के लिए धान खरीदने वाले व्यापारी सतीश गर्ग ने बताया कि निर्यातक 800 से 850 डॉलर प्रति टल धान बेचने को तैयार हैं, लेकिन सरकार ने इसके रेट 1200 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया। यह निर्यातकों के लिए चिंंता का विषय है। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है।
This article has been republished from The Amar Ujala

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