काबुली चने की कीमत रिकॉर्ड 150 रुपए प्रति किलो तक, निर्यात में बढ़ोतरी
भारत में काबुली चना के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. दरअसल, किसानों ने रिकॉर्ड-उच्च कीमतों को देखते हुए रकबा बढ़ा दिया है. इस दौरान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में खेती में बढ़ोतरी देखी गई है. मौसम की अनिश्चितताओं के बावजूद, मजबूत निर्यात मांग विशेष रूप से रमजान से पहले, और बढ़ता हुआ मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यापार आशा की एक किरण लेकर आया है.
मौसम पर निर्भरता
रकबे में भले ही बढ़ोतरी देखी गई हो, लेकिन फसल का आकार अगले कुछ हफ्तों में मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा. मध्य भारत में किसानों को मानसूनी बारिश में कमी और तापमान में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है, जिससे उपज की उम्मीदों पर असर पड़ा है. मध्य भारत देश का एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है.
कीमत रिकॉर्ड 150 रुपए प्रति किलो तक
काबुली चने की कीमतें रिकॉर्ड 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं. इन कीमतों ने किसानों को बुआई बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत मांग ने कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी में योगदान दिया है.
कितना निर्यात
भारत का काबुली चना का निर्यात मजबूत रहा है. भारत के शीर्ष निर्यातकों में तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका शामिल हैं. रमजान की शुरुआत में सामान्य मौसमी कीमतों में गिरावट के उलट कीमतों को स्थिर रखा है.
आगे क्या उम्मीदें?
महाराष्ट्र में फरवरी के मध्य और मध्य भारत में मार्च से नई फसल आने की उम्मीद है, जिससे फरवरी और मार्च में निर्यात मांग पूरी होने की उम्मीद है. इस बीच फोकस अप्रैल के बाद बाजार के मूवमेंट पर है, जब मैक्सिकन फसल बाजार में प्रवेश करती है.
मौसम के उतार-चढ़ाव और ग्लोबल ट्रेड डायनामिक्स के बीच भारत का काबुली चना बाजार में लचीलेपन और विकास क्षमता को दर्शाता है. मूल्य प्रोत्साहन, निरंतर मांग और रणनीतिक निर्यात अवसरों पर किसानों की प्रतिक्रिया के साथ क्षेत्र में उत्साह बना हुआ है. भले ही मौसम एक प्रमुख फैक्टर बना हुआ है, लेकिन शुरुआती मार्केट इंडीकेटर्स एक आशाजनक स्थिति की तरफ इशारा कर रहे हैं, जो भारत को वैश्विक चना बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर सकता है.
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