प्री-मानसून बारिश से पंजाब में धान की बुआई को राहत, हरियाणा के किसान अब भी कर रहे बारिश का इंतज़ार
By Milling and Millers Bureau
मंगलवार को हुई प्री-मानसून बारिश की बौछारों ने पंजाब को भीषण गर्मी से बड़ी राहत दी है। राज्य में अब तक औसतन 24.7 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जो कि सामान्य 22 मिमी से अधिक है। इसमें से 10.4 मिमी बारिश बीते 24 घंटों में दर्ज की गई, जिससे खेतों की नमी बढ़ी और धान की रोपाई के दौरान भूजल पर दबाव कम हुआ।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 23 में से 13 जिलों में सामान्य या अधिक वर्षा हुई है। इनमें अमृतसर, बरनाला, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, रूपनगर, संगरूर, एसबीएस नगर और अन्य जिले शामिल हैं। इन जिलों में वर्षा से मिट्टी की नमी बढ़ी, जिससे अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता कम हो गई।
एक कृषि अधिकारी ने कहा, “यह बारिश बिल्कुल सही समय पर हुई है। मिट्टी की नमी धान की नर्सरी लगाने के लिए अनुकूल है और ट्यूबवेल पर निर्भरता कम होगी, खासकर मध्य और दक्षिणी पंजाब में।”
बरनाला (71.3 मिमी), लुधियाना (65.1 मिमी), रूपनगर (59.9 मिमी), मोगा (42.5 मिमी), फरीदकोट (36.6 मिमी), पटियाला (35.1 मिमी), और एसबीएस नगर (38.2 मिमी) में 1 जून से 17 जून तक अच्छी बारिश दर्ज की गई है।
हालांकि तरनतारण (0.1 मिमी), अमृतसर (0.4 मिमी), कपूरथला (4.9 मिमी), जालंधर (7.9 मिमी), और गुरदासपुर (8.3 मिमी) जैसे क्षेत्रों में बहुत कम वर्षा हुई है, जिसके चलते वहां सिंचाई पर अत्यधिक निर्भरता बनी रहेगी।
अधिकारियों ने कहा कि यह वर्षा पंजाब के भूजल संकट के बीच एक सकारात्मक संकेत है। चूंकि राज्य की 70% से अधिक सिंचाई भूजल पर निर्भर है, विशेष रूप से पानी-खपत वाली धान की फसल के लिए, समय पर बारिश बिजली की खपत और भूजल दोहन को कम कर सकती है।
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस प्राकृतिक नमी का लाभ उठाएं और रोपाई की योजना उसी के अनुसार बनाएं। पंजाब में इस वर्ष 30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई प्रस्तावित है, जिसकी शुरुआत 1 जून से की गई है, जबकि पहले यह 10 जून के बाद होती थी (2009 में पंजाब सब सॉइल वाटर एक्ट के लागू होने के बाद से)।
हरियाणा और चंडीगढ़ में वर्षा की भारी कमी:
जहां पंजाब के अधिकांश जिलों में समय पर और पर्याप्त वर्षा हुई, वहीं हरियाणा और चंडीगढ़ में वर्षा की भारी कमी देखी गई है। हरियाणा के 22 में से 17 जिलों में बहुत कम प्री-मानसून वर्षा हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार, चंडीगढ़ में केवल 18.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 58.4 मिमी होती है — यानी 69% की भारी कमी।
हरियाणा में औसतन 31% वर्षा की कमी रही है। करनाल में मात्र 1.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई जबकि सामान्य 31.8 मिमी होती है — यानी 96% की कमी।
अन्य जिलों में भी स्थिति चिंताजनक रही:
- फतेहाबाद (-82%)
- कैथल और पंचकूला (-79%)
- अंबाला (-71%)
- फरीदाबाद (-70%)
- पानीपत (-86%)
- पलवल और कुरुक्षेत्र (-75%)
हालांकि कुछ जिलों जैसे नूंह (30 मिमी, +146%), महेंद्रगढ़ (43.2 मिमी, +111%), और हिसार (37.6 मिमी, +107%) में सामान्य से अधिक वर्षा हुई, लेकिन ये अपवाद रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि धान की रोपाई के दौरान शुरुआती हफ्तों में जल भराव (2–3 इंच) जरूरी होता है, और यदि समय पर वर्षा न हो तो किसानों को भूजल पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे पहले से संकटग्रस्त एक्विफर्स पर और दबाव बढ़ता है।
पंजाब कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने कहा, “यह बारिश लंबे समय से प्रतीक्षित थी। धान एक जल-गहन फसल है, और समय पर बारिश बहुत जरूरी है। अभी और भी कई बारिश की जरूरत है।”
तापमान में गिरावट:
मौसम विभाग के अनुसार, पंजाब में मंगलवार की तुलना में आज औसत अधिकतम तापमान 3.9 डिग्री सेल्सियस कम हुआ है, और यह सामान्य से 6 डिग्री नीचे है। फरीदकोट में राज्य का सबसे अधिक तापमान 34.6°C दर्ज किया गया।
हरियाणा में आज औसत अधिकतम तापमान में 1.8 डिग्री की गिरावट आई है, और यह सामान्य से 7.4 डिग्री नीचे है। फरीदाबाद में राज्य का उच्चतम तापमान 36.1°C रहा।
आगामी पूर्वानुमान:
- 18 से 20 जून तक पंजाब के कुछ स्थानों पर तेज़ हवाएं (30-40 किमी/घंटा) चलने की संभावना है।
- 21 से 22 जून तक कहीं-कहीं भारी वर्षा व तेज हवाएं चल सकती हैं।
- इसी तरह, 18 से 22 जून तक हल्की हवाएं और 20 से 22 जून के बीच भारी वर्षा की संभावना है।
पंजाब को जहां बारिश ने बड़ी राहत दी है, वहीं हरियाणा के किसानों को मानसून की प्रतीक्षा है। राज्य सरकारों और किसानों को भूजल का संतुलन बनाए रखने के लिए जल प्रबंधन की योजनाएं प्राथमिकता से अपनानी होंगी।