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यूरोप को चावल निर्यात में सरकार ने दी बड़ी राहत, निरीक्षण सर्टिफिकेट की अनिवार्यता छह महीने के लिए स्थगित

भारत सरकार ने यूरोप को चावल निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाओं को आसान बनाते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। वाणिज्य विभाग के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने बुधवार को बासमती और गैर-बासमती चावल दोनों के निर्यात नीति में संशोधन की घोषणा की, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

नई नीति के तहत अब यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य देशों तथा यूनाइटेड किंगडम, आइसलैंड, लिकटेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड को चावल निर्यात करने वाले निर्यातकों को एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल (EIC) या एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी (EIA) द्वारा जारी निरीक्षण प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। हालांकि, अन्य यूरोपीय देशों के लिए यह अनिवार्यता छह महीने के लिए स्थगित कर दी गई है — यानी 2 अप्रैल 2026 तक निर्यात बिना अनिवार्य निरीक्षण प्रमाणपत्र के किया जा सकेगा।

यह संशोधन आईटीसी (एचएस) कोड 1006 के अंतर्गत आने वाले सभी प्रकार के चावल पर लागू होगा — जिसमें बासमती चावल (HS कोड 1006 3012 और 1006 3092) और गैर-बासमती चावल (HS कोड 1006 2000, 1006 3011, 1006 3019, 1006 3091, 1006 3099, और 1006 4000) शामिल हैं।

सरकार के अनुसार, यह निर्णय निर्यातकों द्वारा उठाई गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि हाल के महीनों में निरीक्षण प्रमाणपत्र जारी करने में होने वाली देरी और लॉजिस्टिक बाधाओं के कारण यूरोप को चावल शिपमेंट प्रभावित हो रहे थे।

डीजीएफ़टी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाना, लेनदेन लागत को घटाना और निर्यातकों के लिए दक्षता बढ़ाना है। इससे भारतीय चावल निर्यात को विशेष रूप से यूरोपीय बाज़ारों में नई गति मिलने की उम्मीद है।

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