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भारत के कृषि निर्यात में ‘दोगुनी रफ़्तार’ का लक्ष्य, वैश्विक बाज़ारों में भारतीय चावल को मिलेगा बड़ा मंच : मंत्री प्रह्लाद जोशी

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि भारत अगले पांच वर्षों में कृषि और कृषि आधारित निर्यात को दोगुना करने के साथ ही भारतीय चावल के लिए नए वैश्विक बाज़ार खोलेगा। उन्होंने यह घोषणा एक वीडियो संदेश के माध्यम से की।

जोशी ने कहा, “अगले 5 वर्षों में हमारा लक्ष्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार और आधुनिकीकरण करना, कृषि और कृषि आधारित निर्यात को दोगुना करना और भारतीय चावल के लिए नए वैश्विक बाजार खोलना है।”

उन्होंने कहा कि भारत जहां एक ओर वैश्विक बाजारों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, वहीं मजबूत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अपने नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बनी रहेगी।

भारतीय राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) द्वारा आयोजित भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BRIC) 2025 को बधाई देते हुए जोशी ने कहा, “BRIC 2025 हमारे ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा, जिसमें हमारे किसान और उपभोक्ता इस दृष्टि के केंद्र में होंगे।”

मंत्री ने कहा कि सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य भारत को वैश्विक चावल व्यापार में एक अग्रणी शक्ति के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए खेत से लेकर उपभोक्ता तक, संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में गुणवत्ता, सुरक्षा और किफ़ायत सुनिश्चित की जाएगी।

उन्होंने कहा, “भारत न सिर्फ़ दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक और अग्रणी निर्यातक है, बल्कि हर घर में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध देश भी है।”

जोशी ने बताया कि सरकार उच्चतम गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए ट्रेसबिलिटी और लेबलिंग की बेहतर प्रणाली पर काम कर रही है। इससे वैल्यू-एडेड और टिकाऊ चावल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

सरकार की आगामी पहलों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्रालय सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार, निर्यात बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने और किसानों के लिए नए अवसर सृजित करने पर फोकस करेगा। उन्होंने कहा, “हमारा दृष्टिकोण किसान-प्रथम और उपभोक्ता-केंद्रित है, ताकि निर्यात में वृद्धि किसानों की समृद्धि और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा के साथ आगे बढ़े।”

जोशी ने सभी हितधारकों से अपील की कि वे “बड़ा सपना देखें और साहसिक योजनाएं बनाएं” ताकि भारत वैश्विक कृषि बाजार में अपनी पूर्ण क्षमता हासिल कर सके।

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