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धान का खेल या धोखा? हरियाणा की मंडियों में बढ़ी आवक ने खोले राज, अब होगी सच्चाई की पड़ताल

धान खरीद सीजन के बीच हरियाणा के करनाल ज़िले की मंडियों में धान की असामान्य बढ़ोतरी ने प्रशासन को चौंका दिया है। ज़िला प्रशासन ने अब एक विशेष जांच अभियान शुरू किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मंडियों में पहुंची धान की आवक वाकई स्थानीय किसानों की फसल है या कहीं बाहर से मंगाई गई उपज तो नहीं।

यह जांच ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ (MFMB) पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के साथ की जाएगी, जहां किसानों की भूमि और उत्पादन की जानकारी मौजूद है। अधिकारियों को संदेह है कि वास्तविक पैदावार की तुलना में मंडियों में कहीं ज़्यादा धान आ रही है।

आवक में रिकॉर्ड उछाल, पैदावार में गिरावट के बावजूद
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 20 अक्टूबर तक करनाल ज़िले में 8,71,242 मीट्रिक टन (MT) धान की आवक दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 7,15,326 MT था। हैरानी की बात यह है कि इस बार कटाई में देरी हुई और असमय बारिश व बाढ़ से पैदावार में गिरावट दर्ज की गई — फिर भी मंडियों में रिकॉर्ड धान पहुंच रहा है।

कौन सी मंडियाँ आगे हैं?
इंद्री मंडी में सबसे बड़ा उछाल दर्ज हुआ है — 34,182 MT की बढ़ोतरी के साथ। इसके बाद तरावड़ी (31,378 MT), करनाल (30,793 MT), घरौंडा (25,410 MT) और असंध (15,735 MT) का नंबर आता है।

इस बार करनाल मंडी में 1,46,739 MT धान पहुंचा है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1,15,946 MT था।

किसानों का आरोप: “बाहर से धान मंगवाकर सरकारी खरीद में मिलाया जा रहा है”
किसान संगठनों ने इन बढ़े हुए आंकड़ों पर संदेह जताया है। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आरोप लगाया कि “उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से सस्ती दर पर धान खरीदकर हरियाणा की मंडियों में एमएसपी दर पर बेचने का खेल चल रहा है। रिकॉर्ड में हेराफेरी की जा रही है और घटिया गुणवत्ता वाले धान को सरकारी स्टॉक में मिला दिया गया है।”

विशेषज्ञों ने जताई साजिश की आशंका
आईएआरआई, नई दिल्ली के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र सिंह लाथर ने कहा, “यह केवल बाजार की गड़बड़ी नहीं बल्कि एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा है — जिसमें आढ़ती, बिचौलिए, मिलर और मंडी अधिकारी तक शामिल हैं।”

प्रशासन की सख्त कार्रवाई की तैयारी
ज़िला उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया कि एक संयुक्त टीम अब खेत-स्तर पर जाकर जांच करेगी। यह टीम किसानों की वास्तविक बोआई, औसत उत्पादन और ई-खरीद रिकॉर्ड्स की तुलना करेगी, ताकि मंडियों में दर्ज आवक की सच्चाई सामने आ सके।


हरियाणा की मंडियों में बढ़ी यह “असामान्य आवक” अब एक राजनीतिक और प्रशासनिक जांच का मुद्दा बन चुकी है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सरकारी खरीद प्रणाली की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल होगा। आने वाले दिनों में यह जांच तय करेगी कि यह “धान का खेल” है या “खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी सेंध”।

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