छत्तीसगढ़ राइस घोटाला: ईओडब्ल्यू की कड़ी कार्रवाई, आरोप—दिपेन चौड़ा ने सरकारी कर्मचारियों से वसूले ₹20 करोड़
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने करोड़ों रुपये के चर्चित राइस मिलिंग घोटाले में आरोपी दिपेन चौड़ा के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर दी है। चौड़ा को कारोबारी अनवर ढेबर का करीबी माना जाता है और ईओडब्ल्यू के अनुसार, उसने सरकारी कर्मचारियों से कथित रूप से लगभग ₹20 करोड़ की वसूली की थी। यह चार्जशीट रायपुर स्थित विशेष अदालत (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में दाखिल की गई है।
चौड़ा को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। अब तक इस मामले में ईओडब्ल्यू पांच आरोपियों को जेल भेज चुकी है।
पहले भी कई बड़े नाम चार्जशीट में शामिल
इस मामले में पहली चार्जशीट फरवरी में दायर हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (CG-Markfed) के पूर्व प्रबंध निदेशक मनोज सोनी और छत्तीसगढ़ स्टेट राइस मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष तथा राइस मिलर रोशन चंद्राकर को आरोपी बनाया गया था।
अक्टूबर में दायर दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में व्यवसायी अनवर ढेबर और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को शामिल किया गया।
ईडी की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ था मामला
राइस मिलिंग घोटाले से जुड़ी एफआईआर पिछले वर्ष ईओडब्ल्यू और एंटी-करप्शन ब्यूरो ने दर्ज की थी। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसने मामले में मनी-लॉन्ड्रिंग का पहलू उजागर किया था। ईडी की जांच में अब तक करीब ₹140 करोड़ की अवैध वसूली का पता चला है।
एजेंसी का दावा है कि मामला वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन सीजन से जुड़ा है, जब राज्य में कांग्रेस सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता में थे। आयकर विभाग ने आरोप लगाया था कि राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने CG-Markfed के अफसरों के साथ मिलकर विशेष प्रोत्साहन योजना का दुरुपयोग किया और भारी भरकम कमीशन वसूला।
कैसे चल रहा था अवैध धन का खेल?
उस समय राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिए ₹40 प्रति क्विंटल का विशेष प्रोत्साहन मिलता था, जिसे बाद में बढ़ाकर ₹120 प्रति क्विंटल किया गया। जांच एजेंसियों के अनुसार, इसी का फायदा उठाते हुए मार्कफेड के अधिकारी और जिला विपणन अधिकारी—एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ मिलकर ₹20 प्रति क्विंटल की अवैध वसूली करते थे और प्रोत्साहन राशि से जुड़े बिल रोक लेते थे।
पहले की जांच में यह भी आरोप लगा था कि सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा इस अवैध वसूली का मुख्य संचालक था, जो CRMA पदाधिकारियों के साथ मिलकर इस पूरे गठजोड़ को चला रहा था। वहीं, कारोबारी अनवर ढेबर पर आरोप है कि वह इन अवैध पैसों की वसूली और प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाता था और 2018–23 की कांग्रेस सरकार के दौरान इस पूरे नेटवर्क को सक्रिय रखता था।
ईओडब्ल्यू की जांच तेज
सप्लीमेंट्री चार्जशीट के साथ ही ईओडब्ल्यू ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे संभव हैं। एजेंसी इस मामले को एक बड़े वित्तीय नेटवर्क और उच्चस्तरीय मिलीभगत का परिणाम मान रही है।
