भारत की वापसी के बावजूद पाकिस्तानी चावल निर्यातकों को अपने लक्ष्य हासिल होने का भरोसा
By M&M Bureau
भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय चावल बाजार में पुनः प्रवेश के बावजूद, पाकिस्तान के चावल निर्यातक अपने निर्यात लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर आश्वस्त हैं।
सितंबर 2024 में भारत सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगाए गए दो साल पुराने चावल निर्यात प्रतिबंध को हटा दिया था। इसके बावजूद, पाकिस्तान के निर्यात पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
पंजाब प्रांत के प्रमुख बासमती चावल निर्यातक वकार अहमद ने कहा कि भारतीय चावल की वापसी के बावजूद पाकिस्तान की रणनीति अधिक कुशल और गुणवत्ता-आधारित होने के कारण, उनका बाजार स्थिर बना हुआ है।
पाकिस्तान राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद अशरफ ने कहा, “यह एक गुणवत्ता केंद्रित रणनीति है, जिसमें सीधी मूल्य प्रतिस्पर्धा से बचते हुए प्रीमियम गुणवत्ता के उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।”
वकार अहमद ने बताया कि भारत की वापसी से पहले के तीन महीनों (जुलाई-सितंबर 2024) में पाकिस्तान का औसतन मासिक चावल निर्यात 5.5 लाख टन रहा।
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 11 महीनों में पाकिस्तान का कुल चावल निर्यात 5.544 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि के 5.593 मिलियन टन से 0.87 प्रतिशत कम है।
पाकिस्तान ने यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ जैसे उच्च गुणवत्ता वाले बाजारों में अपनी पकड़ बनाए रखी, जबकि अफ्रीकी देशों में भी गुणवत्ता आधारित रणनीति से मूल्य-संवेदनशील खरीदारों तक पहुंच बनाई।
हालांकि अशरफ ने माना कि खरीफ सीजन 2024 में चावल उत्पादन में 3.7% की गिरावट आने से अप्रैल 2025 से स्टॉक में कमी आ गई है। इसके चलते अप्रैल से जून 2025 की अंतिम तिमाही में चावल निर्यात में लगभग 15% की गिरावट आने का अनुमान है।
अशरफ के अनुसार, भारत इस समय 25% टूटा हुआ गैर-बासमती चावल (FOB के आधार पर) 349 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की दर से बेच रहा है, जो थाईलैंड (376 डॉलर), वियतनाम (362 डॉलर) और पाकिस्तान (365 डॉलर) से काफी सस्ता है।
PTI के अनुसार, पाकिस्तान की रणनीति बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखने में फिलहाल सफल रही है, लेकिन कम उत्पादन और बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसे कारक भविष्य की चुनौती बन सकते हैं।